जमीन में पानी कैसे देखें

जमीन में पानी कैसे देखें? 6 शानदार तरीके पानी चेक करने के

जमीन में पानी कैसे देखें: पानी इंसानी जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इसलिए जब हम कहीं पर घर का निर्माण करवाते हैं तो हम घर का निर्माण आरंभ करवाने से पहले ही पानी की व्यवस्था करते हैं। अक्सर गांव में किसी नई जगह पर पानी को प्राप्त करने के लिए लोगों के द्वारा बोरिंग करवाई जाती है।

जमीन में पानी कैसे देखें

और कभी-कभी बोरिंग करने के दरमियान 20 फीट में ही पानी निकल आता है तो कभी-कभी 70 से 80 फीट के बाद ही पानी निकलता है और कभी-कभी बोरिंग करने के बावजूद भी पानी नहीं निकलता है।

ऐसे में अगर जमीन के अंदर पानी देखने का तरीका हमें पता हो तो हम अनावश्यक खर्चे से बच सकते हैं और सही जगह पर पानी निकालने का प्रयास कर सकते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको “जमीन में पानी कैसे देखते हैं” के बारे में जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं।

जमीन में पानी कैसे देखें? जानें सही तरीका

पहाड़ी इलाके में सामान्य तौर पर पानी निकालने के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है, क्योंकि वहां पर भूगर्भ जल का लेवल बहुत ही नीचे होता है परंतु अगर मैदानी इलाके में बोरिंग करवाया जाता है तो जल्दी से पानी निकल आता है।

कभी-कभी काफी प्रयास करने के बावजूद भी जमीन से पानी नही निकलता है। ऐसे में व्यक्ति ने पानी निकलवाने के लिए जो खर्चे किए होते हैं वह बेकार हो जाते हैं साथ ही व्यक्ति का काम भी नहीं होता है।

इसलिए अगर व्यक्ति जमीन में पानी देखने का तरीका जानता हो तो वह आसानी से जमीन में पानी का पता लगा सकता है और निश्चित जगह पर बोरिंग करवा करके पानी निकाल सकता है।

1: मूर और बेली से जमीन में पानी देखें

मूर और बेली जमीन में पानी देखने का साइंटिफिक तरीका है। इसके अंतर्गत मानक ग्राफ को क्रिएट किया जाता है। इस प्रोसेस में जमीन के अंदर सेंटर के समान दूरी पर इलेक्ट्रोड को सेट किया जाता है और फिर इसमें इलेक्ट्रिसिटी को प्रवाहित किया जाता है।

ऐसा करने पर यह पता चलता है कि पानी का बहाव है अथवा नहीं और फिर जो भी जानकारियां प्राप्त होती हैं उसके द्वारा ग्राफ क्रिएट किया जाता है और तैयार किए गए ग्राफ को मूल और बेली के ग्राफ से मिला कर के पानी की उपलब्धि का पता लगाया जाता है।

2: बोरिंग करवा कर जमीन में पानी देखे

वर्तमान समय में सबसे अधिक इसी तरीके का इस्तेमाल भारत के ग्रामीण इलाके में किया जा रहा है। हालांकि यह तरीका थोड़ा सा खर्चीला होता है। इस तरीके के जरिए जमीन में पानी देखने के लिए आपको तकरीबन ₹10000 से लेकर के ₹18000 तक खर्च करने पड़ सकते हैं।

इसके अंतर्गत आपको बोरिंग करने वाले लोगों को लाना होता है। वह अपने साथ बोरिंग करने वाली मशीन लाते हैं और फिर एक निश्चित जगह पर बोरिंग करना प्रारंभ करते हैं। अगर जमीन के अंदर पानी होगा तो थोड़ी ही बोरिंग करने के बाद पानी का अंदाजा आ जाएगा और यह पता लग जाएगा कि जमीन के अंदर पानी है अथवा नहीं।

3: रिमोट सेंसिंग से जमीन में पानी देखें

रिमोट सेंसिंग के द्वारा बिना जमीन के कांटेक्ट में आए हुए जमीन के अंदर पानी है या नहीं इसका पता लगाया जा सकता है। यह बहुत ही जरूरी उपकरण होता है जो एमिटेड एनर्जी को रिकॉर्ड करता है साथ ही उसका एनालिसिस भी करता है।

आज के समय में इस प्रकार के डिवाइस का इस्तेमाल काफी तेजी के साथ किया जा रहा है। यह धरती से संबंधित लगभग तमाम प्रकार की जानकारी को देता है जिसके द्वारा खनिज अन्वेषण, पानी संसाधन मूल्यांकन, पर्यावरण निगरानी किया जा सकता है। रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी के द्वारा जमीन के अंदर पानी के संभावित स्रोतों के बारे में पता लगाया जाता है।

4: फोटो जियोलॉजी से जमीन में पानी देखे

यह तरीका भी जमीन के अंदर पानी का पता लगाने के लिए बहुत ही कारगर साबित होता है। इसके द्वारा जमीन की भौतिक विशेषताएं, चट्टान, वनस्पति, खनिज और जल संसाधनों का एनालिसिस किया जाता है। इसके अंतर्गत हवाई जहाज या फिर उपग्रह से फोटो लेकर के जल के बारे में इंफॉर्मेशन प्रदान की जाती है।

5: आइसोटोप विधि

इस विधि के द्वारा यह पता लगाया जाता है कि जमीन के अंदर पानी बह रहा है अथवा नहीं अथवा जमीन के अंदर पानी का प्रवाह है या फिर नहीं। जैसा कि हम सभी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि अगर किसी जमीन के अंदर पानी मौजूद होता है।

तो उसके ऊपर की जो चट्टान होती है वह नमी वाली हो जाती है और उसी नमी वाली सत्तह का विश्लेषण वैज्ञानिकों के द्वारा किया जाता है। सबसे अधिक इस्तेमाल में लिया जाने वाला आइसोटोप ट्रिटियम, ड्यूटेरियम, ऑक्सीजनयम18 और कार्बन 14 है।

6: भूकंपीय विधि

जमीन के अंदर पानी है या नहीं इसका पता लगाने के लिए भूकंपीय विधि का भी इस्तेमाल किया जाता है जो कि टोटल दो प्रकार की होती है जिसमें पहला प्रकार है भूकंपीय अपवर्तन और दूसरा है परावर्तन विधि।

भूकंप अपवर्तन विधि के अंतर्गत धरती की सत्तह पर एक छोटा सा एक्सपेरिमेंट किया जाता है और जरूरी चीजों को नापा जाता है जिसके अंतर्गत वेव और परिणामी साउंड को मापा जाता है जो कि जमीन के काफी अंदर तक जाता है।

और अंदर तक जाने के बाद जहां पर वेव के अंदर कुछ बदलाव होते हैं तो इसके द्वारा वैज्ञानिकों को इस बात की जानकारी हासिल हो जाती है कि अंदर किसी प्रकार का स्ट्रक्चर मौजूद है और जब यही वेव पानी से होकर गुजरती है तो वैज्ञानिक इस बात को कहते हैं कि जमीन के नीचे पानी मौजूद है।

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FAQ:

Q: जमीन में पानी देखने वाली ऐप का नाम क्या है?

वाटर डिटेक्टर

Q: जमीन के अंदर पानी कितनी गहराई तक होता है?

ANS: हर जगह गहराई अलग-अलग होती है।

Q: पानी चेक करने की मशीन का नाम क्या है?

ANS: वाटर डिटेक्टर मशीन

Q: पानी खोजने की मशीन की कीमत कितनी है?

Ans: 35000 से 70 हजार के बीच

अंतिम शब्द

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