जमीन को अचल संपत्ति कहा जाता है। यही वजह है कि लोग अधिक से अधिक जमीन हासिल करना चाहते हैं। कई लोग तो दूसरे की जमीन पर भी कब्जा कर लेते हैं और कुछ लोग तो किसी के साथ धोखाधड़ी करके या जबरदस्ती करके जमीन अपने कब्जे में करवा लेते हैं। लेकिन आज आप दादा परदादा की जमीन अपने नाम कैसे करें? जानने वाले हैं।
पहले जमीन अपने नाम करवाने के लिए सादा कागज भी वैलिड सबूत के तौर पर मान्य होता था परंतु अब अगर किसी भी व्यक्ति को जमीन अपने नाम करवानी है, तो उसे जमीन रजिस्ट्री ऑफिस में जाना पड़ेगा और जमीन बेचने वाले के सामने ही सारी कार्रवाई पूरी करनी पड़ेगी तभी उसके नाम पर जमीन आएगी।
दादा परदादा की जमीन अपने नाम कैसे करें? सही तरीका
जिस प्रकार सोने का रेट लगातार बढ़ता रहता है वैसे ही जमीन का रेट भी बढ़ता ही रहता है। इसीलिए हर कोई यह चाहता है कि उसके नाम पर अधिक से अधिक जमीन हो। कुछ लोगों को विरासत में काफी अधिक जमीन मिल जाती है तो कुछ लोगों के दादा परदादा के नाम पर जमीन तो होती परंतु किसी प्रकार अगर उनके दादा परदादा खत्म हो जाते हैं तो वह जमीन उन्हें अपने नाम लेने पर काफी कठिनाई आती है।
हालांकि उन्हें अगर यह पता है कि दादा परदादा की जमीन अपने नाम कैसे लेते हैं तो वह उनकी जमीन को अपने नाम करवा सकते हैं। इसलिए हमने इस आर्टिकल में स्पेशल दादा परदादा की जमीन अपने नाम करवाने का तरीका बताया है। हालांकि इसके पहले आपको कुछ अन्य जानकारी भी प्राप्त कर लेनी चाहिए।
जमीन का बंटवारा कितने प्रकार का होता है?
दादा परदादा की जमीन अपने नाम करवाने के पहले आपको इस के बंटवारे के बारे में जानना चाहिए।
1: आपसी सहमती बटवारा
इस बंटवारे में कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं होती है बल्कि इस बंटवारे में घर के सभी सदस्य इकट्ठा होते हैं और वह लोग आपस में ही इस बात पर सहमति जता लेते हैं कि कौन से व्यक्ति को कौन सी जगह दी जाएगी।
इसे पक्का बटवारा नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि आगे चल कर के अगर किसी व्यक्ति के मन में कुछ अन्य विचार आते हैं तो वह ऑब्जेक्शन कर सकता है, जिसके बाद लड़ाई झगड़े भी हो सकते हैं। इसीलिए कभी भी इस प्रकार के बंटवारे को नहीं करना चाहिए। यह कानून की नजर में बिल्कुल भी मान्य नहीं होता है और अधिकतर इस प्रकार के बंटवारे में आगे चलकर के समस्या ही होती हैं।
2: पंचायत सहमती बटवारा
इस प्रकार के बंटवारे में सभी हिस्सेदारो को गांव के सरपंच के सामने जाना होता है जिसमें गांव के अन्य लोग भी शामिल होते हैं और सरपंच की देखरेख में ही इस प्रकार का बंटवारा होता है।
हालांकि जिस प्रकार आपसी सहमति के बंटवारे की कोई भी वैल्यू नहीं होती है, उसी प्रकार इस प्रकार के बंटवारे की भी कोई भी वैल्यू नहीं होती है क्योंकि इसमें कोई भी लिखा पढ़ी या फिर कानूनी कार्रवाई नहीं होती है।
3: रजिस्ट्री बटवारा
यह सबसे असरदार और लीगल बंटवारा होता है, क्योंकि इस प्रकार के बटवारे में जमीन बेचने वाले को और जमीन खरीदने वाले को अथवा बटवारा करने वाले सभी व्यक्तियों को रजिस्ट्री ऑफिस में जाना पड़ता है और कुछ कानूनी कार्रवाई पूरी करनी पड़ती है। इस प्रकार दोनों ही व्यक्ति के पास लीगल डॉक्यूमेंट हो जाते हैं जिसे आगे चलकर के वह कहीं भी सबूत के तौर पर पेश कर सकते हैं।
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दादा परदादा की जमीन अपने नाम कैसे करवाते हैं?
ऊपर आपने यह जाना कि आखिर बंटवारा कितने प्रकार का होता है और कौन सा बटवारा सबसे लीगल माना जाता है। अब आप यह जान लीजिए के दादा परदादा की जमीन अपने नाम करवाने के लिए आपको क्या करना पड़ेगा अथवा आपको कौन सी प्रक्रिया को पूरा करना पड़ेगा।
1: दादा परदादा की जमीन अपने नाम करवाने के लिए सबसे पहले आपको अपने सभी डॉक्यूमेंट को रेडी कर लेना है क्योंकि आगे आप जो कार्रवाई करेंगे उसमें आपके डॉक्यूमेंट काम आएंगे। डॉक्यूमेंट के तौर पर आपको अपना आधार कार्ड, अपना पैन कार्ड, रजिस्ट्री स्टांप, पैसे तथा अन्य जरूरी चीजें इकट्ठा कर लेनी है।
2: सभी डॉक्यूमेंट इकट्ठा करने के बाद आपको अपने एरिया के सरकल ऑफिस में जाना है।
3: अपने एरिया के सर्किल ऑफिस में पहुंचने के बाद आपको वहां पर बैठे हुए कर्मचारी से जमीन को अपने नाम पर चढ़ाने से संबंधित बात करनी है।
4: इसके बाद कर्मचारी आपको आगे की कार्रवाई बताएगा और आगे आपको कौन सी कार्यवाही करनी है, इसके बारे में भी बताएग।
5: इस प्रकार आगे की कार्रवाई में आपको अपने सभी डॉक्यूमेंट को रजिस्ट्री ऑफिस में जमा करना पड़ता है और जो भी फीस होती है, उसे जमा कर देना पड़ता है।
6: इसके बाद रजिस्ट्री ऑफिस के द्वारा आपके सभी डॉक्यूमेंट की जांच की जाएगी और यह भी देखा जाएगा कि क्या वास्तव में आप उसी परिवार से संबंध रखते हैं जिस परिवार की जमीन को आप अपने नाम करना चाहते हैं।
7: अगर सब कुछ सही रहता है तो रजिस्ट्री ऑफिस के द्वारा गवर्नमेंट रजिस्टर में ऑनलाइन आप के दादा परदादा की जमीन को आपके नाम से फीड कर दिया जाएगा। इसे होने में 8 दिन से लेकर के 12 दिन का समय लग सकता है।
8: इसके बाद आपने अपने दादा परदादा की जिस जमीन को अपने नाम करवाया है, उसके गाटा संख्या की सहायता से आप ऑनलाइन देख सकते हैं कि वास्तव में आप के दादा परदादा की जमीन आपके नाम हो गई है अथवा नहीं।
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FAQ: दादा परदादा की जमीन की रजिस्ट्री
Q: रजिस्ट्री ऑफिस क्या होता है?
Ans: यहां पर जमीन की खरीदी और बिक्री की कानूनी प्रक्रिया होती है।
Q: जमीन अपने नाम पर करवाने के लिए कितने रुपए देने पड़ते हैं?
Ans: हर राज्य में इसका दाम अलग-अलग होता है।
Q: क्या हम कोर्ट से भी जमीन अपने नाम पर करा सकते हैं?
Ans: जी हां
Q: हमें यह कैसे पता चलेगा कि जमीन हमारे नाम हो चुकी है?
Ans: आप रजिस्ट्री ऑफिस से जान सकते हैं या फिर ऑनलाइन गाटा संख्या की सहायता से देख सकते हैं।
Q: जमीन अपने नाम पर करवाने का फायदा क्या है?
Ans: आपकी प्रॉपर्टी में इजाफा होता है, साथ ही आप उसके ऊपर लोन भी ले सकते हैं। इसके अलावा आपका सामाजिक मान सम्मान भी बढ़ता है।
अंतिम शब्द
तो साथियों अब आपको दादा परदादा की जमीन अपने नाम कैसे करें? इस बात की जानकारी मिल चुकी होगी, आपको यह पोस्ट कैसा लगा ? हमें कमेंट के जरिये बताएं और पोस्ट कैसा लगा इस जानकारी को साँझा कर सकते हैं।